Jagannath Rath Yatra 2025 Date: भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथयात्रा इस बार 27 जून से शुरू होगी। रथयात्रा से 15 दिन पहले भगवान जगन्नाथ अचानक बीमार हो जाते हैं। इस दौरान उनका खास ध्यान रखा जाता है और उपचार भी किया जाता है।
Jagannath Rath Yatra 2025 Interesting Facts: उड़ीसा के पुरी में हिंदुओं के सबसे पवित्र चार धामों में से एक भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। हर साल आषाढ़ मास में भगवान की की रथयात्रा यहां निकाली जाती है। इस बार रथयात्रा 27 जून के शुरू होगी। इस रथयात्रा से पहले और बाद में अनेक रोचक परंपराओं का पालन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि रथयात्रा शुरू होने से 15 दिन पहले भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। इस दौरान उनकी विशेष सेवा और उपचार किया जाता है। जानें इस परंपरा से जुड़ी रोचक बातें…
किस तिथि पर बीमार होते हैं भगवान जगन्नाथ?
रथयात्रा शुरू होने से पहले दिन पहले यानी ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि (इस बार 10 जून) पर भगवान जगन्नाथ को 108 घड़ों से विशेष स्नान करवाया जाता है। मान्यता है कि स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। इस स्थिति में 15 दिनों तक भगवान की प्रतिमा को एक विशेष कमरें रखकर उनकी सेवा और उपचार किया जाता है। भगवान का खास तरह के आयुर्वेदिक काढ़ों का भोग लगाया जाता है, जिससे भगवान जल्दी से स्वस्थ हो सकें।
कैसे शुरू हुई ये परंपरा, जानें कथा?
प्रचलित कथा के अनुसार, किसी समय पुरी में माधवदास नाम के भगवान जगन्नाथ के परम भक्त रहते थे। एक बार माधवदास काफी बीमार हो गए, जिसके कारण उनका चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया। तब स्वयं भगवान श्रीजगन्नाथ सेवक बनकर माधवदास के साथ 15 दिनों तक रहे और उनकी खूब सेवा की, जिससे वे जल्दी ही ठीक हो गए। एक दिन माधवदास ने भगवान को पहचान लिया और बोले ‘आप चाहते तो तुरंत मेरा रोग दूर कर सकते थे, तो फिर आपने मेरी सेवा क्यों की?
माधवदास की बात सुनकरभगवान ने कहा ‘ये बीमारी तुम्हारे पिछले कर्मों का फल है, जो तुम्हें भोगना ही पड़ेगा, नहीं तो इस कर्म को भोगने के लिए तुम्हें अगला जन्म लेना होगा। अभी भी तुम्हारे हिस्से की 15 दिन की बीमारी बची है, उसे मैं स्वयं लेता हूं और तुम्हें रोग मुक्त करता हूं।’
ऐसा कहकर भगवान जगन्नाथ वहां से चले गए। कहते हैं कि इसके बार माधवदास ने 15 दिनों तक भगवान जगन्नाथ की एक रोगी की तरह सेवा की। यही परंपरा आज भी चली आ रही है। उसके अनुसार, भगवान जगन्नाथ आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा तिथि से अगले 15 दिनों तक यानी आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तक बीमार रहते हैं। इस अवधि में भगवान के कक्ष में सेवकों और वैद्यों के अलावा कोई और नहीं जा सकता।
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